नई दिल्ली, दिसंबर 15 : सोचिए, अगर बिहार की खेती अपने आप सोच पाती, समय रहते खतरे पहचान पाती, किसानों को सलाह दे पाती और अपनी स्थिति बता पाती, तो नतीजे कितने बेहतर होते?
इसी सोच से बना है AgriIQ, जो डेक्सियन इंडिया का खेती के लिए बनाया गया एक समझदार निर्णय प्रणाली है।
बिहार में पहले से ही आधुनिक कृषि की मजबूत नींव है। राज्य में मिट्टी के स्वास्थ्य कार्ड, सिंचाई से जुड़ी जानकारी, सरकारी योजनाओं का पूरा रिकॉर्ड, मशीनीकरण सेवाएँ, किसान समूहों का डेटा, पशुधन जानकारी और मंडी से जुड़ा डिजिटल रिकॉर्ड मौजूद है।
कुल कृषि डेटा का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा अब डिजिटल है।
चुनौती डेटा की कमी नहीं, बल्कि यह है कि यह सब आपस में जुड़ा नहीं है।
AgriIQ इसी कमी को पूरा करता है, और बिहार की सारी कृषि जानकारी को एक साथ जोड़कर तुरंत उपयोग करने योग्य बनाता है। खेती में सही समय पर सही जानकारी ही सब कुछ होती है।
बिखरे हुए रिकॉर्ड से एक जगह पर पूरी जानकारी
आज अधिकारी वर्षा, कीट-रोग चेतावनी, फसल की हालत, किसान विवरण और सब्सिडी रिकॉर्ड देखने के लिए कई पोर्टल खोलते हैं। हर व्यवस्था अलग-अलग अच्छी है, लेकिन सब मिलकर काम नहीं करती। इससे काम धीमा होता है और महत्वपूर्ण फैसलों में देरी होती है AgriIQ इन सभी को एक ही स्थान पर लाता है। इसमें मिट्टी, मौसम, सिंचाई, सरकारी योजनाएँ, फसल स्थिति, कीट-रोग खतरा, और मंडी के रुझान—सभी की जानकारी एक ही जगह उपलब्ध होती है।
जैसा कि वेंकट लक्ष्मीनरसिम्हा, कार्यकारी निदेशक, DISC – समाधान, भारत और मध्य पूर्व, डेक्सियन इंडिया, कहते हैं:
“कृषि में कमी जानकारी की नहीं होती, कमी समय पर मिलने वाली जानकारी की होती है।”
एक ऐसी व्यवस्था जो फैसले तेज़ और आसान बनाती है
पहली बार, अधिकारी और नीति-निर्माता पूरे राज्य की खेती की स्थिति एक ही स्क्रीन पर देख सकते हैं।
AgriIQ के माध्यम से यह तुरंत पता चलता है:
कौन-से जिले पानी की कमी झेल रहे हैं
कहाँ कीट का खतरा बढ़ रहा है
किस मंडी में फसल की आमद कम हो रही है
कौन-सी योजना अच्छी चल रही है और कहाँ सुधार की ज़रूरत है
इससे निर्णय तेज़ होते हैं, सही होते हैं और परिणाम बेहतर आते हैं।
मौसम की अनिश्चितता से पहले ही चेतावनी
पिछले कुछ वर्षों में बिहार की खेती को बदलते मौसम का सामना करना पड़ा है—अनियमित बारिश, हीटवेव, बढ़ती नमी और जलभराव की समस्या। ऐसी परिस्थितियाँ कुछ ही दिनों में फसल बर्बाद कर सकती हैं।
AgriIQ पहले से चेतावनी देकर मदद करता है।
यह बताता है:
कीट या रोग का प्रकोप कब बढ़ सकता है
बारिश कम या ज्यादा होने से फसल पर क्या असर होगा
किस इलाके में पौधों में तनाव बढ़ रहा है
जलवायु बदलाव से उपज में गिरावट की संभावना कहाँ है
इससे समय रहते कदम उठाए जा सकते हैं और फसल को बड़ा नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
योजनाओं की निगरानी अब और पारदर्शी
बिहार में लाखों किसान सरकारी योजनाओं पर निर्भर हैं। हर दिन बहुत सारी आवेदनों की जांच होती है। इसलिए सही और पारदर्शी प्रक्रिया बहुत ज़रूरी है।
AgriIQ यह सुनिश्चित करता है कि:
पात्र किसानों को लाभ जल्दी मिले
गड़बड़ियाँ और गलत प्रविष्टियाँ कम हों
हर योजना की प्रगति साफ-साफ दिखे
जहाँ सुधार की आवश्यकता हो, वहाँ तुरंत पता चले
इससे योजनाओं का संचालन तेज़, साफ और किसान-अनुकूल बनता है।
फील्ड अधिकारियों के लिए आसान मोबाइल व्यवस्था
कई अधिकारी ऐसे इलाकों में काम करते हैं जहाँ नेटवर्क कम मिलता है। AgriIQ मोबाइल पर भी आसानी से चलता है और बिना नेटवर्क के भी काम करता है।
इससे अधिकारी सीधा खेत से ही:
फसल की वास्तविक स्थिति दर्ज कर सकते हैं
किसान की जानकारी जाँच सकते हैं
किसी भी समस्या की तुरंत सूचना दे सकते हैं
यह जानकारी तुरंत ऊपर तक पहुँच जाती है और निर्देश तुरंत नीचे तक पहुँचते हैं। इससे काम में तालमेल बढ़ता है।
किसानों की आमदनी बढ़ाने वाली बाजार जानकारी
कई किसान पुरानी या अधूरी जानकारी के आधार पर अपनी फसल बेचते हैं। इससे उन्हें सही दाम नहीं मिल पाता। AgriIQ मंडी के ताज़ा दाम, मांग, आपूर्ति और संभावित मूल्य गिरावट की जानकारी समय पर देता है। सलाह स्थानीय भाषा में भेजी जाती है, ताकि किसान आसानी से समझ सकें और सही समय पर अपनी फसल बेच सकें।
क्यों बिहार तैयार है बुद्धिमान कृषि मॉडल के लिए
बिहार में पहले से ही कई मजबूत व्यवस्थाएँ मौजूद हैं:
डिजिटल कृषि पोर्टल
बढ़ती सिंचाई सुविधा
तेज़ी से बढ़ता मशीनीकरण
किसानों में स्मार्टफ़ोन का बड़ा उपयोग
प्रशासन की रियल-टाइम व्यवस्था अपनाने की इच्छा
AgriIQ इन सबको जोड़कर एक भविष्य-तैयार कृषि व्यवस्था बनाता है।
एक ऐसा भविष्य जो गति, सरलता और स्पष्टता से भरा हो
AgriIQ बिहार को यह क्षमता देता है कि हर खेत दिखाई दे, हर किसान जुड़ा रहे और हर खतरे की जानकारी पहले से मिल जाए। यह ऐसी व्यवस्था बनाता है जो डेटा-आधारित, पारदर्शी और किसानों की भलाई पर केंद्रित है।
जैसा कि वेंकट कहते हैं:
“हम सिर्फ आंकड़े नहीं दिखा रहे, हम राज्य को तेज़ और सही निर्णय लेने का आत्मविश्वास दे रहे हैं।”
निष्कर्ष: बिहार की कृषि अब समझ-आधारित दौर में प्रवेश कर चुकी है
AgriIQ सिर्फ एक तकनीक नहीं है—यह कृषि व्यवस्था में बड़ा बदलाव है। यह बिखराव को जोड़ता है, देरी को दूरदृष्टि में बदलता है और अनुमान को सटीकता में बदल देता है। यह जोखिमों की पहले पहचान करता है, योजनाओं को और मजबूत बनाता है, अधिकारियों को सशक्त बनाता है और किसानों की आय बढ़ाने में मदद करता है।
बिहार की खेती का भविष्य सिर्फ डिजिटल नहीं— यह समझदार, समावेशी, पूर्वानुमान-आधारित और कल के लिए पूरी तरह तैयार है।
लेखक परिचय:
वेंकट लक्ष्मीनरसिम्हा, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, DISC – सॉल्यूशंस, इंडिया और मिडिल ईस्ट, डेक्सियन इंडिया।
वेंकट लक्ष्मीनारसिम्हा डेक्सियन इंडिया में भारत और मध्य पूर्व के लिए समाधान विभाग का नेतृत्व करते हैं। वे व्यवसाय प्रबंधन और उत्पाद विकास के क्षेत्र में एक अनुभवी और दूरदर्शी नेता हैं। डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में उनका अनुभव सूचना प्रौद्योगिकी, सरकारी संस्थानों और कृषि-तकनीक जैसे कई क्षेत्रों तक फैला हुआ है।
वेंकट जटिल आवश्यकताओं को समझकर उन्हें सरल, उपयोगी और नवीन समाधान में बदलने की क्षमता रखते हैं। वे ग्राहकों के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर निर्माण, नए उत्पादों की शुरुआत और उनके संपूर्ण जीवनचक्र पर काम करते हैं, जिससे परियोजनाएँ बिना रुकावट आगे बढ़ती हैं और लंबे समय तक सफल रहती हैं।
उनके नेतृत्व में डेक्सियन की प्रबंधित सेवाएँ वैश्विक स्तर पर बढ़ी हैं। वे अमेरिका, मध्य पूर्व और भारत में सैकड़ों इंजीनियरों की टीमों का मार्गदर्शन करते हुए डिजिटल परिवर्तन और उन्नत तकनीकी परियोजनाओं को आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने डेटा विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग और आभासी/संवर्धित वास्तविकता जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उनका नेतृत्व कौशल, तकनीक के प्रति गहरी समझ और नवाचार के लिए निरंतर प्रयास, डेक्सियन इंडिया को तेज़ी से बदलती तकनीकी दुनिया में आगे बढ़ाते रह रहे हैं।
